बुधवार, 2 मार्च 2011

फूंक दी जब से दिल में बसी बस्तियां .... -- 'डा० दीप्ति भारद्वाज'

डा० दीप्ति भारद्वाजdeepti ji
परिचय
जन्म : 25 जून 1973_/_जन्म स्थान : बरेली
वर्तमान निवास : 'चित्रकूट, 43, सिन्धु नगर, बरेली -243005
शिक्षा- एम. ए. हिंदी ; applied एम. ए. हिंदी ; applied एम.एड.; पीएच. डी. [हिंदीगुरु भक्त सिंह भक्त के काव्य में संवेदना और शिल्प]
कार्यक्षेत्र - प्रकाशन अधिकारी, इन्वरटिज ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशंस बरेली
2007 - रूहेलखंड विश्वविद्यालय, बी०एड० कालेज में अध्यापन
2006-हिंदी अधिकारी-भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद
अभिरुचि- आध्यात्मिक व राष्ट्रीय चेतना से जुड़े हर पहलू में.
प्रस्तुति : प्रकाश गोविन्द
bubble_flower

फूंक दी जब से दिल में बसी बस्तियां
हर तरफ हैं मेरे मस्तियाँ - मस्तियाँ ..
lady_galadriel
अब रहे न रहे मुझको कोई डर नहीं
शौक से फूंक दे घर मेरा बिजलियाँ ..
गम न कर मान ले इसमें उसकी रज़ा
तट पे आके जो डूबें तेरी कश्तियाँ
आएँगी अब यकीनन नयी कोपलें
पेड़ से झर गयी हैं सभी पत्तियाँ
जो भी दीखता है सब कुछ है फानी यहाँ
देखते -देखते मिट गयीं हस्तियाँ ..
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जीवन नाम हुआ करता है...
जीवन नाम हुआ करता है
मर्यादित प्रतिबंधों का ..
जिनकी केवल सुधियाँ करती
मन मरुथल को भी चन्दन वनGiacomo_Balla-Mercury_Passing_Before_the_Sun-Tempera_on_Canvas_Board-1914
जग के हस्ताक्षर से वंचित
पर जिन से अनुप्राणित तन मन

जीवन नाम हुआ करता है
कुछ ऐसे संबंधों का ..
माना श्रम उद्यम रंग लाते
फिर भी रेखा खिची कहीं पर
जहाँ आकडे असफल होते
हारे सभी अनेक जतन कर

जीवन नाम हुआ करता है
विधि के लिखे निबंधों का ..
पिंजरा तो पिंजरा होता है
चाहें रत्नजटित हो जाए
मस्ती में स्वछन्द घूमता
राह राह बंजारा गए
जीवन नाम हुआ करता है
उड़ते हुए परिंदों का ...
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दीप में रोशनी है......
टूट ही तो गया है सितारों का मन
रेशमी इन इशारों को फ़िर मत बुनो

एक सपना संजोया था मैंने कभीArcadia-#-1
पंखुडी पंखुडी हो बिखरता गया
देख कर उनके बदले हुए रूप को
रंग चेहरे का मेरे उतरता गया ...
धुप के हर पसीने की अपनी कथा
छाव में बैठ कर इस तरह मत सुनो ।

दीप में रोशनी है जलन भी तो है
मोम के इस बदन में गलन भी तो है
कि जीने की लगन है बहुत प्यार में
कि मरने का अनूठा चलन भी तो है ...
इन अंधेरों में मिलता बहुत चैन है
इन उजालों को तुम इस तरह मत चुनो ।
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अनुनय
मैं उन्ही की हूँ , उन्ही की थी , सदा उनकी रहूंगी ॥

गूँथ कर माना कि माला मैं उन्हें पहना न पाई
और जो प्रिय ने सुनाया गीत वो दोहरा न पाई
enchanted_flute
पर चरण पर चढ़ गईं चुपचाप जो कलियाँ प्रणय की
बन्धु! मैं उनको किसी को बीन ले जाने न दूंगी ॥

बन घटा सुधि की सलोनी प्रिय ह्रदय पर छा गए हैं
दूर तन से हों भले पर.... पास मन के आ गए हैं
पास भी कितने की पल भर को विलग होने न पायें
पीर के सब सिन्धु... आँचल में प्रणय के बाँध लुंगी॥

मैं उन्ही की हूँ , उन्ही की थी , सदा उनकी रहूंगी॥
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जाना अकेला है...
जाना अकेला है, फिर क्यों झमेला है .
मोह की कटीली इन झाड़ियों को काट देmoonbeams
खुद को न जोड़ तू थोडा - थोडा बाँट दे
मस्ती में डूबते जीवन तो मेला है..
आदमी को नाचना है साँसों की ताल पर
काल का तमाचा लगे हर किसी के गाल पर
चेत्य के बिना ये तन माटी का ढेला है ..

कामना की डोर तो आई कभी न हाथ
डाल- डाल हम रहे और चाह पात - पात
यही खेल भैय्या रे बार - बार खेला है ..
देखते ही देखते उम्र तो निकल गयी
सोन मछरिया जैसी हाथ से फिसल गयी
खोया रुपैय्या तूने पाया न ढेला है..
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The End
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30 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन नाम हुआ करता है
    मर्यादित प्रतिबंधों का ..
    -----------------
    सुन्दर लिखा है
    दीप्ति जी की कवितायें बहुत अच्छी लगीं. थैंक्स

    जवाब देंहटाएं
  2. दीप्ति जी से परिचय और उनकी बेहतरीन कवितायेँ पढवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. जो भी दीखता है सब कुछ है फानी यहाँ
    देखते -देखते मिट गयीं हस्तियाँ ..
    इस गज़ल का हर शेर दिल को छू गया
    जीवन नाम हुआ करता है
    मर्यादित प्रतिबंधों का ..
    गहरा चिन्तन। सामाजिक मर्यादाओं की उपयोगिता को चंद शब्दों मे परिभाशित करना बहुत मुश्किल होता है। सभी रचनायें दिल को छू गयी। दीप्ती जी का परिचय पा कर बहुत खुशी हुयी। उन्हें हार्दिक शुभकामनायें और क्रियेटिव मंच का आभार।

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  4. 'जाना अकेला है, फिर क्यों झमेला है'
    बेहतरीन लाईनें।
    सभी रचनाएं अच्‍छी।

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  5. deepti ji ki sabhi kavitayen pasand aayin. khas taur par 'जाना अकेला है...' aur 'जीवन नाम हुआ करता है...' bahut hi achhi lagi. donon hi kavitaon men kuchh khaas sa hai.

    deepti ji se parichay karaane aur sundar prastuti ke liye aapko badhayi aur dhanyavad

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  6. फूंक दी जब से दिल में बसी बस्तियां ....

    मस्ती में डूबते जीवन तो मेला है..
    आदमी को नाचना है साँसों की ताल पर
    काल का तमाचा लगे हर किसी के गाल पर
    चेत्य के बिना ये तन माटी का ढेला है ..

    ....मार्मिक, हृदयस्पर्शी पंक्तियां हैं। अच्छी कविताओं के लिये बधाई स्वीकारें।

    जवाब देंहटाएं
  7. दीप्ति भारद्वाज जी की कवितायेँ प्रभावित करती हैं.
    सभी कवितायेँ चिंतन से भरपूर हैं जो दिल को छूती हैं. बहुत सुन्दर पोस्ट लगी

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  8. कमाल की अभिव्यक्ति।
    सुन्दर कविता, मन को भा गयी।

    जवाब देंहटाएं
  9. इन अंधेरों में मिलता बहुत चैन है
    इन उजालों को तुम इस तरह मत चुनो ।
    ==========================
    जाना अकेला है, फिर क्यों झमेला है.
    मोह की कटीली इन झाड़ियों को काट दे
    खुद को न जोड़ तू थोडा - थोडा बाँट दे
    ==========================

    deepti ji ki kavitayen hamen kuchh vairagya se bhari lagin... jaise sufiyana gaane hote hain bilkul waise hi. achhi lagin sab kavitayen

    जवाब देंहटाएं
  10. bahut bhaavpoorn kavitayen hain
    padhkar bahut achha laga.
    deepti ji ko hardik badhayi aur shubh kamnayen

    जवाब देंहटाएं
  11. ******************************************
    जाना अकेला है, फिर क्यों झमेला है .
    मोह की कटीली इन झाड़ियों को काट दे
    खुद को न जोड़ तू थोडा - थोडा बाँट दे
    मस्ती में डूबते जीवन तो मेला है.
    ******************************************
    टूट ही तो गया है सितारों का मन
    रेशमी इन इशारों को फ़िर मत बुनो
    ******************************************
    डा० दीप्ति भारद्वाज जी की सभी कवितायेँ
    बहोत अच्छी लगी. इन्हें पढवाने के क्रिएटिव मंच
    का बहोत बहोत आभार.
    ******************************************

    जवाब देंहटाएं
  12. बेहतरीन कवितायें हैं ... बधाई डॉक्टर साहिबा को !

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  13. दीप्ति जी से परिचय का आभार।
    सभी कवितायेँ अच्छी लगी....

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  14. bhartiya darshan ka pratibimb
    banti panktiyan mamsprshi lagin .
    anek kalkhandon men anek shilp
    tarase gaye,par darshnikata aaj bhi
    samsamayik hai .sundar kathya ke liye
    sadhuvad .

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  15. bahut khoobsurat likhti hai ..accha laga aapse mukhatib hokar!

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  16. सभी रचनाएं गंभीर, दार्शनिकता लिए हुए
    बहुत सुन्दर हैं. इन्हें पढना सुखद है.
    दीप्ति जी से मिलवाने के लिए क्रिएटिव मंच का आभार

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  17. sabhi rachnaye ek se badhkar ek...

    bahut achcha laga padh kar...

    thanx & regards,

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  18. दीप्ति जी बहुत ही उम्दा लिखती हैं.
    अध्यात्म से भरपूर रचनाएँ.
    सलाम.

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  19. amazing and heart touching poems
    I like very much

    thanks to you

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  20. दीप्ति भारद्वाज जी की कवितायेँ बहुत सुन्दर हैं
    एक अलग ही तरह के भाव हैं जो पढने में अच्छे लगे
    दीप्ति जी से परिचय करवाने के लिए क्रिएटिव मंच को धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  21. आभार ... आप सभी को... आप सब का आशीष मेरी पूंजी है.. .. आपका स्नेह मुझे मिलता रहेगा... दीप्ति

    जवाब देंहटाएं
  22. इस पोस्ट पर देर से पहुंची इसके लिए माफ़ी चाहती हूँ.
    जीवन दर्शन से जुडी सभी कविताएँ बहुत पसंद आयीं.
    संग दिए चित्रों का चयन बेहद उम्दा है .कविता के पूरक लगे.
    मंच की यह प्रस्तुति ख़ास लगी ..अनंत को इतनी सुदर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई .और डॉ.दीप्ती को शुभकामनाएं.

    जवाब देंहटाएं
  23. दीप्ति जी की कवितायें बहुत अच्छी लगीं| धन्यवाद|

    जवाब देंहटाएं
  24. दिप्तीजी..
    सारी कवितायेँ ही बहुत सुन्दर है.
    जीवन के विभिन्न उतार-चढाओं को दर्शाती हुई
    प्रेम भी है तो अध्यात्म भी,निराशा के साथ
    आत्म-विश्वास भी और साथ ही जीवन-दर्शन भी..
    हर रचना सुन्दर है !!

    जवाब देंहटाएं
  25. bahut hi acchi kavitayen. Badhai

    जवाब देंहटाएं
  26. sabhi kritiyan ek se badhkar ek hain.

    --Mayank

    जवाब देंहटाएं

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