प्रिय मित्रों/पाठकों/प्रतियोगियों नमस्कार !! आप सभी लोगों का हार्दिक स्वागत है हम 'श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 7' का परिणाम लेकर हाजिर हैं! हमेशा की तरह इस बार भी सभी प्रतिभागियों ने अत्यंत सार्थक व सुन्दर सृजन किया ! इस बार श्रेष्टता क्रम तय करने जैसा कठिन कार्य का दायित्व हमने आदरणीय अमिताभ जी को सौंप दिया था ! यहाँ हम पाठकों के समक्ष स्पष्ट कर दें कि गुणीजनों को जब भी चयन का दायित्व सौंपा जाता है तो उन्हें सिर्फ़ प्रविष्टियाँ दी जाती हैं, उन्हें नहीं पता होता कि कौन सी प्रविष्टि किस सृजनकार की है ! एक बार फिर से भाई राजेन्द्र स्वर्णकार जी ने अपनी कलम से मन्त्र-मुग्ध किया और श्रेष्टता क्रम में प्रथम स्थान पर रहे ! दुसरे क्रम पर सुश्री सोनल रस्तोगी जी और तीसरे क्रम में हम सबकी जानी-पहचानी अल्पना जी की रचना रहीं ! सभी की प्रविष्टियाँ सराही गयीं ! परिणाम के अंत में आज की श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक- 8 का चित्र दिया गया है ! सर्वश्रेष्ट प्रविष्टि को प्रमाण पत्र दिया जाएगा. पहले की भांति ही 'माडरेशन ऑन' रहेगा. प्रतियोगिता में शामिल होने की समय सीमा है - ब्रहस्पतिवार 15 अप्रैल- शाम 5 बजे तक । सभी सृजनकारों एवं समस्त पाठकों को बहुत-बहुत बधाई/शुभकामनाएं. अब आईये देखते हैं - इस आयोजन के सम्बन्ध में माननीय अमिताभ जी के विचार : |
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नन्हे-नन्हे हाथ-पांव हैं, नन्ही- सी औक़ात रे पीछे आंधी-तूफ़ां, आगे भी है झंझावात रे ! कांधों पर जिम्मेवारी, सर पर काली रात रे लाएगी हिम्मत ही सुनहरी- नूतन आज प्रभात रे ! |
श्रम जीवन आधार बनाया , जीने का विश्वास लिए, वात्सल्य भाव से आप्लावित , मंद मंद हास लिए , स्वप्न सभी पूरे होंगे, मन में हूँ ,यह आस लिए |
मैं सिर्फ एक स्त्री नहीं एक कर्तव्यनिष्ठ माँ हूँ नन्ही बेटी तू मेरी ख़ुशी है मैं सदा तेरा अपना हूँ सब धर्म निभाये है मैंने मातृत्व धर्म भी निभाउंगी तुझे खुश रखूंगी हमेशा तुझे दुनिया घुमाउंगी |
माँ : ममता का घर क्या ग़म है जो मेरे पास खिलौने नहीं तेरी प्यार भरी भाषा ही काफी है क्या ग़म है जो मेरे दोस्त न हों तेरे हाथों की थपकी ही काफी है क्या ग़म जो मेरे सर पर छत न हो स्कूल का तेरे आँचल का छाया ही काफी है |
जहाँ धरती से आकाश मिले उस दूरी तक हम हो लें, चलो कल्पना के पंखों से आसमान को छू लें. | 6. सुश्री मृदुला प्रधान |
क्यों ये रीत भगवान ने बनाई है बेटियां इसे मानकर परिभाषा जीवन की हमारा रिश्ता भी इतना अजीब होता है |
9. श्री राज रंजन | नारी भी कई रूप बदलती है |
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श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता अंक - 8 प्रतियोगियों के लिए- 1- इस सृजन प्रतियोगिता का उद्देश्य मात्र मनोरंजन और मनोरंजन के साथ कुछ सृजनात्मक करना भी है। 2- यहाँ किसी प्रकार की प्रतिस्पर्धा नही है। 3- आपको चित्र के भावों का समायोजन करते हुए अधिकतम 100 शब्दों के अन्दर रचनात्मक पंक्तियाँ लिखनी हैं, जिसे हमारी क्रियेटिव टीम के चयनकर्ता श्रेष्ठता के आधार पर क्रम देंगे और वह निर्णय अंतिम होगा। 4- प्रतियोगिता संबंधी किसी भी प्रकार के विवाद में टीम का निर्णय ही सर्वमान्य होगा.5- चित्र को देख कर लिखी गयी रचना मौलिक होनी चाहिए. शब्दों की अधिकतम सीमा की बंदिश नहीं है. परिणाम के बाद भी यह पता चलने पर कि पंक्तियाँ किसी और की हैं, विजेता का नाम निरस्त कर दिया जाएगा ! 6- प्रत्येक प्रतियोगी की सिर्फ एक प्रविष्टि पर विचार किया जाएगा, इसलिए अगर आप पहली के बाद दूसरी अथवा तीसरी प्रविष्टि देते हैं तो पहले की भेजी हुयी प्रविष्टि पर विचार नहीं किया जाएगा. प्रतियोगी की आखिरी प्रविष्टि को प्रतियोगिता की प्रविष्टि माना जाएगा। 7-'पहले अथवा बाद' का इस प्रतियोगिता में कोई चक्कर नहीं है अतः आप इत्मीनान से लिखें. 'माडरेशन ऑन' रहेगा. आप से अनुरोध है कि अपनी प्रविष्टियाँ यहीं कॉमेंट बॉक्स में दीजिये। ------------------------------------- प्रतियोगिता में शामिल होने की समय-सीमा ब्रहस्पतिवार 15अप्रैल शाम 5 बजे तक है. "श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता- 8" का परिणाम 21 अप्रैल रात्रि सात बजे प्रकाशित किया जाएगा। |
The End |